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निर्गुण भजन nirgun Bhajan

Kaya ka pinjara dole re,sas ka panchi bole,काया का पिंजरा डोले रे, सांस का पंछी बोले रे,nirgun bhajan

काया का पिंजरा डोले रे, सांस का पंछी बोले रे।।

काया का पिंजरा डोले रे, सांस का पंछी बोले रे।।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
ले के साक्षी जाना है, और जाने से क्या घबराना है।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
ये दुनिया मुसाफिर खाना है, तूँ जाग जगत ये सोले रे।।

कर्म अनुसारी फल ले रे, और मनमानी अपनी करले रे।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
तेरा घमंड सारा झडले रे, अभिमानी मान क्यूँ डोले रे।काया का पिंजरा डोले रे, सांस का पंछी बोले रे।।

मातपिता भाईबहन पतिपत्नी, कोई नहीं तूँ किसी का रे।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
कह कबीर झगड़ा जीते जी का,अब मन ही मन क्यूँ डोले रे।काया का पिंजरा डोले रे, सांस का पंछी बोले रे।।

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