हंसा निकल गयो पिंजरे से,खाली पड़ी रही तस्वीर।
जब यमदूत लेन को आये,नैक धरे न धीर,
मार मार के जान निकले,बहे नैन से नीर।हंसा निकल गयो पिंजरे से,खाली पड़ी रही तस्वीर।
हंसा निकल गयो पिंजरे से,खाली पड़ी रही तस्वीर।
कोई रोवे कोई मल-मल धोवे,कोई उढावे चीर।
चार जने जब मिलकर ले गये,ले गये मरघट तीर।
हंसा निकल गयो पिंजरे से,खाली पड़ी रही तस्वीर।
मार मुरख की का चलायी,संग चले न शरीर।
जाए मरघट में जाए जलावे,कह गये दास कबीर। 🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
हंसा निकल गयो पिंजरे सेखाली पड़ी रही तस्वीर।
बहुत मनाये देवी देवता,बहुत मनाये पीर।
अंत समय कोई काम ना आया,
जाना पड़ा अखीर। 🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
हंसा निकल गयो पिंजरे से,खाली पड़ी रही तस्वीर।
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