तन धर सुखिया कोए ना देखा,जो देखा सो दुखिया जी।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
उदय अस्त की बात कहत हूँ,सब का किया विवेक जी।।
शुक आचारज दुःख के कारण,गर्भ में माया त्यागी रे।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
घांटा-२सब जग दुखिया, क्या गृहस्थी क्या वैरागी रे।।
साच कहूं तो कोए ना माने,झूठी कही ना जाइ रे।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
ब्रम्हा विष्णु महेश्वर दुखिया,जिनने या स्रष्टि रचाई रे।।
जोगी दुखिया जंगम दुखिया,तपसी को दुःख दूना रे।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
आशा तृष्णा सब घट व्यापे,कोए महल ना सुना रे।।
राजा दुखिया प्रजा दुखिया,रंक दुखी धन रीता रे।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
कह कबीर सभी जग दुखिया,साध सुखी मन जीता रे।
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Tan dhar sukhiya koy na dekha,तन धर सुखिया कोए ना देखा,जो देखा सो दुखिया जी,nirgun bhajan
तन धर सुखिया कोए ना देखा,जो देखा सो दुखिया जी