नाटै मत घड़ा उठा दे दिखे हो मैंने पल-पल हो रहा भारी।
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कैसो जादू डारो रे, अरे साँवरिया।
बनवारी रे जीने का सहारा तेरा नाम रे।
दोय दोय गुजारियां के बीच में, अकेलो कानुडो।
कन्हैया लाल घड़लो म्हारो,भर दे रे।
झूला में बैठ्यों आज म्हारो, श्याम ललो।
जादू भरी है बनवारी,श्याम मुरली तुम्हारी।