तर्ज,सावन की बरसे बदरिया
जादू भरी है बनवारी,श्याम मुरली तुम्हारी। २।
मुरली तुम्हारी श्याम, मुरली तुम्हारी।जादू भरी है बनवारी,श्याम मुरली तुम्हारी।
लुटे हैं चैन मेरा निंदिया उड़ाई, जब जब तूने इसे अधर लगाई। 🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚नींद ना आवे रैना सारी।श्याम मुरली तुम्हारी।
जादू भरी है बनवारी,श्याम मुरली तुम्हारी।
संग मे हमेशा तेरे, रहे ये बैरणीयां। खा गई चैन मेरा तेरी मुरलिया। 🦚🦚🦚🦚🦚तुमको है जान से प्यारी।श्याम मुरली तुम्हारी।
जादू भरी है बनवारी,श्याम मुरली तुम्हारी।
जा रे हो नटखट, कबहूं ना बोलूं। सुनकर मुरलिया तेरी, कबहूं ना डोलूं।🦚🦚🦚🦚जाओ हटो दूंगी गारी।श्याम मुरली तुम्हारी।
जादू भरी है बनवारी,श्याम मुरली तुम्हारी।
श्याम तेरी मुरली,सारे जग को भावे।तेरे मेरे बीच में ये,दूरी बनावे।🦚🦚🦚🦚🦚🦚 काहे लाए तूं इसको मुरारी।श्याम मुरली तुम्हारी।
जादू भरी है बनवारी,श्याम मुरली तुम्हारी।