आनंद छायो जनक नगरिया, कैसे सपरी।
कैसे सपरी ओ रामा कैसे सपरी।
सीता बेटी भाई सयानी राजा को चिंता भारी।
देश देश में खबर भेज दी भूप जुरे आती भारी।
सुनके राजा की खबरिया कैसे सपरि।
आनंद छायो जनक नगरिया कैसे सपरी।
भरी सभा में राजाजी ने ऐसा वचन सुनायो।
जो कोई धनुष तोड़ दे मेरी होय वीर को जायो।
सब गई रावण की उंगलियां कैसे सपरी।
आनंद छायो जनक नगरिया कैसे सपरी।
गुरु की आज्ञा मान राम ने लीनो धनुष उठाई।
तोड़ो धनुष राम ने पल में सीताजी मुसकाई।
लड़ गई नैनों से नजरिया कैसे सपरी।
आनंद छायो जनक नगरिया कैसे सपरी।
लेके माला सीताजी ने गले राम के डाली।
सारे देव फूल बरसावें खुशी हुए नार नारी।
पड़ गईं राम से भंवरिया कैसे सपरी।
आनंद छायो जनक नगरिया कैसे सपरी।
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आनंद छायो जनक नगरिया, कैसे सपरी।