ओ मईया, बैठी है भंडारे खोल के,
भर लो झोलियां, जयकारे बोल के,
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एक दिन मेरे घर आना मेरे बांके बिहारी,
ओ मेरी प्यारी मैया कहते हैं शिव त्रिपुरारी।
कभी फुर्सत तो मैया आ जाओ
रुखा सूखा भोग लगा जाओ।
सिंह पे सवार होके आई मेरी मैया,रथ पे सवार होके आई है
जरा पर्वतों से होले होले आ, मात शेरावालिये
एकदीन मैया पार्वती भोले से,ये बोले