तर्ज,पल्लो लटके
एकदीन मैया पार्वती भोले से,ये बोले।स्वामी मुझको भी घुमाओ तुम, हरिद्वार मेले।
बोले भोले क्या करोगी,हरिद्वार में जाके।भीड़ भाड़ में खो जाओगी,रोवोगी पछताके।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹तुझको जो चाहिए सो ले ले रे,कैलाश के मेले।स्वामी मुझको भी घुमाओ तुम, हरिद्वार मेले।
कैलाश में कुछ नही मिलता,हरिद्वार को जाऊं।सुंदर सा सिंगार खरीदूं,राधे को ललचाऊं।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹मेरे मन में इच्छा खेले रे,हरिद्वार मेले।स्वामी मुझको भी घुमाओ तुम, हरिद्वार मेले।
चले हैं भोला गोरा लेकर नीलकंठ में,सो गए।बोले तुम करलो खरीदारी,हाथ विभूति दे गए।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹गोरा यही है पैसे ले ले रे,हरिद्वार मेले।स्वामी मुझको भी घुमाओ तुम, हरिद्वार मेले।
बोली गौरा यह है माटी,क्या करूं में इसका।बोले शंकर बदल जाएगा,जो ले भाग्य है उसका।२।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹इस से सारा मेला ले ले रे,हरिद्वार मेले।स्वामी मुझको भी घुमाओ तुम, हरिद्वार मेले।
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