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निर्गुण भजन nirgun Bhajan

Sun mhara manwa bir edi nahi karni,सुण म्हारा मनवा वीर ,एड़ी नहीं करणी,nirgun bhajan

सुण म्हारा मनवा वीर ,
एड़ी नहीं करणी ।

। दोहा ।।
मनवा तो पंछी भया , उड़ के चला आकाश ।
ऊपर से ही गिर पड़ा , मोह माया के पास ।

सुण म्हारा मनवा वीर ,
एड़ी नहीं करणी ।
जळ उण्डो संसार ,
दोरो तिरणो ।
माया मोटो जाळ ,
गरब नहीं करणो जी।

सुमता कुमता नार ,
दोय पटराणी ।
दोनों रो और स्वभाव ,
संत पहचाणी ॥
सुण म्हारा मनवा वीर ,
एड़ी नहीं करणी ।
जळ उण्डो संसार ,
दोरो तिरणो ।
माया मोटो जाळ ,
गरब नहीं करणो जी।

आ गई कुमता नार ,
कुबदा कर गई ।
म्हाने नेखियो चौरासी माँय ,
जनम डुबा गई ।
सुण म्हारा मनवा वीर ,
एड़ी नहीं करणी ।
जळ उण्डो संसार ,
दोरो तिरणो ।
माया मोटो जाळ ,
गरब नहीं करणो जी ।

आ गई सुमता नार ,
सुध बुध दे गई ।
म्हाने तारियो चौरासी रे माँय ,
जनम सुधार गई ।
सुण म्हारा मनवा वीर ,
एड़ी नहीं करणी ।
जळ उण्डो संसार ,
दोरो तिरणो ।
माया मोटो जाळ ,
गरब नहीं करणो जी।

किण ने सुणाऊँ गुरु ज्ञान ,
उठ उठ भागे ।
ज्योंरा हिरदा बड़ा कठोर ,
रंग नहीं लागे ।
सुण म्हारा मनवा वीर ,
एड़ी नहीं करणी ।
जळ उण्डो संसार ,
दोरो तिरणो ।
माया मोटो जाळ ,
गरब नहीं करणो जी।

नाभि कमल रे माँय ,
गंगा खळकी ,
अड़ा उड़द रे बीच ,
गंगा खळकी ।
एतो केवे संत कबीर ,
भगती करणी ॥
सुण म्हारा मनवा वीर ,
एडी नहीं करणी ।
सुण म्हारा मनवा वीर ,
एड़ी नहीं करणी ।
जळ उण्डो संसार ,
दोरो तिरणो ।
माया मोटो जाळ ,
गरब नहीं करणो जी।

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