जरा हलके गाड़ी हांको मेरे राम गाड़ी वाले।
गाड़ी म्हारी रंग रंगीली पहिया है लाल गुलाल।
हांकन वाली छैल छबीली बैठन वाला राम।जरा हलके गाड़ी हांको मेरे राम गाड़ी वाले।
गाड़ी अटकी रेत में मजल पड़ी है दूर।
ई धर्मी धर्मी पार उतर गये पापी चकनाचूर।जरा हलके गाड़ी हांको मेरे राम गाड़ी वाले।
देस देस का बैद बुलाया लाया जड़ी और बूटी।
या जडी बूटी तेरे काम न आई जड़ राम के घर की टूटी।जरा हलके गाड़ी हांको मेरे राम गाड़ी वाले।
चार जना मिल मतों उठायो बांधी काठ की घोड़ी।
ले जाके मरघट पे रखिया, फूँक दीन्ही जस होली।जरा हलके गाड़ी हांको मेरे राम गाड़ी वाले।
बिलख बिलख कर तिरिया रोवे बिछड़ गयी मेरी जोड़ी।
कहे कबीर सुनो भाई साधो जिन जोड़ी उन तोड़ी।जरा हलके गाड़ी हांको मेरे राम गाड़ी वाले।
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जरा हलके गाड़ी हांको मेरे राम गाड़ी वाले।