लक्ष्मी के पति जग के स्वामी शेष शैय्या पे लेटे मिलेंगे।
Category: विविध भजन
मैंने मानुस जनम तुमको हीरा दिया
तूने यूँ ही गवांया तो मैं क्या करूं।
मात पिता की सेवा जैसा,
बन्दे और जगत में,
कोई काम नहीं है,
चारों धाम है मात पिता रे चरणों में है भाया रे।
ओ रे म्हारो राम बसे रूनीचा में
खेले श्याम खाटू में,
हँस हँस मीठो जग में बोलणो रे,
हंसला फेर मिलाला नाय।
कोई पीवो राम रस प्यासा, कोई पीवो राम रस प्यासा।
मात पिता से दगो जो करेगो,
चार जनम पछतावेगो,
लागा रे बाण मारे शब्द गुरा रा,
घायल वे ज्यों री ए बातां,
काऊ दिन पाले सुआ उड़ जायेंगे।
You must be logged in to post a comment.