पाप की नगरिया में पुण्य कब कमाओगे,
Category: निर्गुण भजन nirgun Bhajan
छोड़ कर संसार जब तू जाएगा
मेरी माला में चौसठ मणिये, कोई राम भजनिया कोन्या
जो बिगड़े सो तेरा राम मेरा क्या बिगड़े।
पाँच तत्व का बना रे पिंजरा,
जा में बोले मेरी मैना
जीवन में जी कर देख लिया,
आराम तो है पर चैन नहीं।
लाली चुनर विच सजके सजन घर, जाना पड़ेगा रे।
तेरे सिर पर गठरी पाप की, तेरे लगी भरम की भूल, भक्ति कर भगवान की।
हारे मीठा बोलोनी,ओशी उम्र में थोड़ो जीवनो रे,
म्हारा सतगुरु दीनी रे बताय ,
दलाली हीरा लालन की।
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