रात बलम मोहे सपना आया। हो रही जय जयकार, बलम मोहे ले चल रे मैया के दरबार।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
एक सुहागिन अपने पति से, कह रही बारम्बार। 🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺बलम मोहे ले चल रे मैया के दरवार।
न चाहिए मोह हाथी घोड़ा, न चाहिए मोह कार। बलम मोह ले चल रे मैया के दरबार।
न चाहिए मोह सोना चांदी, न चाहिए मोह हार। बलम मोह ले चल रे मैया के दरबार।
न चाहिए मोह महल दुमहला, न चाहिए घर-बार।बलम मोह ले चल रे मैया के दरबार।
न चाहिए मोह खेती बाड़ी, न चाहिए व्यापार।बलम मोह ले चल रे मैया के दरबार।
सुनके अपनी पत्नी की बोली, हुए बलम तैयार। गोरी तुम्हे ले चलेंगे, मैया के दरबार। दर्शन हम पायेंगे मैया के दरबार। 🌺🌺🌺भेंट चढ़ायेंगे मैया के दरवार।