होली खेल रहे नंदलाल,मथुरा की कुंज गलिन में।मथुरा की कुंज गलिन में,गोकुल की कुंज गलिन में।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹होली खेल रहे नंदलाल,मथुरा की कुंज गलिन में।
पूरब को कृष्ण मुरारी,पश्चिम की राधा प्यारी।उत्तर दक्षिणी गोपी ग्वाल,मथुरा की कुंज गलिन में।
होली खेल रहे नंदलाल,मथुरा की कुंज गलिन में।मथुरा की कुंज गलिन में,गोकुल की कुंज गलिन में।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹होली खेल रहे नंदलाल,मथुरा की कुंज गलिन में।
में देख रही थी होरी,मेरे सिर पर धरी कमोरी। अजी मोहे रंग से,कर दी लाल।मथुरा की कुंज गलिन में।
होली खेल रहे नंदलाल,मथुरा की कुंज गलिन में।मथुरा की कुंज गलिन में,गोकुल की कुंज गलिन में।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹होली खेल रहे नंदलाल,मथुरा की कुंज गलिन में।
मेरे भर पिचकारी मारी,मेरी सुंदर साड़ी बिगाड़ी। अजी मेरे मुख पर मलो गुलाल,मथुरा की कुंज गलिन में।
होली खेल रहे नंदलाल,मथुरा की कुंज गलिन में।मथुरा की कुंज गलिन में,गोकुल की कुंज गलिन में।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹होली खेल रहे नंदलाल,मथुरा की कुंज गलिन में।
मेरी बांह पकड़ झट झोरी,मेरे सर की गागर फोड़ी। अजी मेरे गले को टूटयो हार,मथुरा की कुंज गलिन में।
होली खेल रहे नंदलाल,मथुरा की कुंज गलिन में।मथुरा की कुंज गलिन में,गोकुल की कुंज गलिन में।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹होली खेल रहे नंदलाल,मथुरा की कुंज गलिन में।