बुंटी एक से एक चमक रही, कोन सी ले जाऊं रामजी।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹कोन सी ले जाऊं रामजी।कोन सी ले जाऊं रामजी।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹बुंटी एक से एक चमक रही, कोन सी ले जाऊं रामजी।
जगमग जगमग होय पर्वत पर,हनुमत करे विचार।२।एक संजीवन लेने खातिर,पर्वत लियो उठाय।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 ओ रामा रामा,एक से एक चमक रही, कोन सी ले जाऊं रामजी।
ले पर्वत हनुमत जी चल दिए, भरत रहे हरसाय।२।खींच के बाण भरत ने मारा,पर्वत लियो गिराय।🌹🌹🌹🌹🌹ओ रामा रामा,एक से एक चमक रही, कोन सी ले जाऊं रामजी।
कौन के पुत्र कौन के सेवक,क्या है तुम्हारो नाम।२।कौन राजा की करो चाकरी,कौन के लाग्यो वाण।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹ओ रामा रामा,एक से एक चमक रही, कोन सी ले जाऊं रामजी।
पवन के पुत्र राम के सेवक,हनुमत म्हारो नाम।२।रामचंद्र की करूं चाकरी,लक्ष्मण लाग्यो वाण।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹ओ रामा रामा,एक से एक चमक रही, कोन सी ले जाऊं रामजी।
आओ मेरे भाई बैठो वाण पे,लंका देऊं पहुंचाय।२।मेरे भाई के वाण लग्यो है,बुंटी दिज्यो पिलाय।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹ओ रामा रामा,एक से एक चमक रही, कोन सी ले जाऊं रामजी।
लंका पहुंचे राम हर्साये,बुंटी दई पिलाय।२।भुजा पसारे मिले हनुमत से, दोनों भाई सुख पाय।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹ओ रामा रामा,एक से एक चमक रही, कोन सी ले जाऊं रामजी।
बुंटी एक से एक चमक रही, कोन सी ले जाऊं रामजी।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹कोन सी ले जाऊं रामजी।कोन सी ले जाऊं रामजी।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹बुंटी एक से एक चमक रही, कोन सी ले जाऊं रामजी।