सावन को महीनो, मन में उठे हिलोर। झूले ऊपर दादी जी, भक्तों के हाथों डोर।
झूले की रस्सी मैया, कस के पकडीए। ऊंचो झूलासयां थाने, बिल्कुल ना डरिए।🌹🌹🌹 थाने झूलासयां मैया, लगाकर पूरो जोर।🌹झूले ऊपर दादी जी, भक्तों के हाथों डोर।
झूलो झुलावां पाच्छे,करस्यां सिंधारा।लाड़ लड़ावां घणों,चाव है म्हारो।🌹🌹🌹🌹🌹देखो के के ल्याया,मैयजी कर के गौर।झूले ऊपर दादी जी, भक्तों के हाथों डोर।
अगले महीने मैया, झुंझुनू में मीलंगा। भादवे में खुलकर सारी, बाता करंगा।🌹🌹🌹🌹🌹 कहे सहेलयां सारी, सावन का कुछ दिन और।झूले ऊपर दादी जी, भक्तों के हाथों डोर।
सावन को महीनो, मन में उठे हिलोर। झूले ऊपर दादी जी, भक्तों के हाथों डोर।