ये तो प्रेम की बात है उधो, बंदगी तेरे बस की नहीं है। यहां सर देके होते हैं सोदे, आशिकी इतनी सस्ती नहीं है।
प्रेम वालों ने कब वक्त पूछा, उनकी पूजा में सुन ले ये उधौ। यहां दम दम में होती है पूजा, सर झुकाने की फुर्सत नहीं है।
ये तो प्रेम की बात है उधो, बंदगी तेरे बस की नहीं है। यहां सर देके होते हैं सोदे, आशिकी इतनी सस्ती नहीं है।
जो असल में है मस्ती में डूबे, उन्हें क्या परवाह है जिंदगी की। जो उतरती है चढ़ती है मस्ती, वह हकीकत में मस्ती नहीं है।
ये तो प्रेम की बात है उधो, बंदगी तेरे बस की नहीं है। यहां सर देके होते हैं सोदे, आशिकी इतनी सस्ती नहीं है।
जिसकी नजरों में है, श्याम प्यारे, वह तो रहते हैं, जग से भी न्यारे।जिसकी नजरों में मोहन समाए, वह नजर फिर तरसती नहीं है।
ये तो प्रेम की बात है उधो, बंदगी तेरे बस की नहीं है। यहां सर देके होते हैं सोदे, आशिकी इतनी सस्ती नहीं है।