तेरे रंग में रंगा हर जमाना मिले,
मैं जहा भी रहु बरसाना मिले।
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करुणा की दृष्टि निहारो,राधे बरसाने वाली।
मैं बरसाने की गली आ गई हूं,
राधे वृषभानु लली आ गई हूं,
मेरों मन लाग्यो बरसाने में, जहाँ विराजे राधा रानी,
खुदा ने पूछ लिया
बैकुंठ जाना है
चिठ्ठी लिख दी किशोरी जी के नाम,
बूला लो मुझे बरसाना,
मुकुट पर वारी, वारी बनवारी।
जहाँ बरसाना है वही बस जाना है,
जाना नही है कही और
अपनी पाँयल का घुघरू बना लो मुझे,
श्यामा प्यारी मेरे साथ हैं , फिर डरने की क्या बात है,
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