हंसा नजर नहीं आया प्रेम गुरू,
अंत नजर नहीं आया,
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कोई पीवे संत सुजान,
नाम रस मीठा रे।।
भगति रा मारग दूजा रे संतो ,
भगति रा मारग दूजा।
कलयुग कठिन पाप रो पैरो,नियम छोड़ेला नर नारी
ऐसा कलयुग आया संतो ऐसा कलयुग आया।