झीनी झीनी उड़े रे गुलाल बालाजी तेरे मंदिर में।
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थारी महिमा अपरंपार,
बाला आया तेरे द्वार,
श्री बालाजी महाराज, महाराज, मने रखियो अपने चरनन मे
हे गणपति तेरी आरती गाऊं। आरती गाऊं प्यारे आपको मनाऊं
बालाजी भेरू जी माँ के चाले अगवाणी,
मेरे बालाजी महाराज बना दो बिगड़ी मेरी। माता अंजनी के लाल बना दो बिगड़ी मेरी।
तन पर लगा सिंदूरी रंग,छमां छम नाच रहे बजरंग।
बुंटी एक से एक चमक रही, कोन सी ले जाऊं रामजी।
बानर बांको रे,लंका नगरी में मच गयो हाँको रे।
सारे जग में डंका बाजे,हो रहयो थारो नाम
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