कभी प्यासे को पानी पिलाया नही, बाद अमृत पिलाने से क्या फायदा।
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मानुष तन अनमोल रे,मिट्टी में ना रोल रे
उठ जाग मुसाफिर भोर भई,अब रैन कहां जो सोवत है।
के गर्व करे इस काया को,या चले न तेरे साथ, भजले श्री श्याम।
श्याम जी को नाम एक, उड़न विमान है।
जग जाड़ो चढ़गयो श्याम, भरवादे प्रेम रजाई।
दगा किसीका सगा नहीं है,किया नही तो कर देखो
मेरा मन पापी, मेरा मन कपटी, कभी भजे ना हरी का नाम रे।कैसे समझाऊं सांवरिया।
दुनिया बनाने वाले, वाह रे तेरी माया। तेरा, पार कोई ना पाया।
माटी री आ काया थारी माटी में मिल जावेली
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