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निर्गुण भजन nirgun Bhajan

Mati ri aa kaya thari, माटी री आ काया थारी माटी में मिल जावेली,निर्गुण भजन

माटी री आ काया थारी माटी में मिल जावेली

माटी री आ काया थारी, माटी में मिल जावली। क्यांरो गर्व करे रे मनवा, क्यां पर तूं इतरावे है।

आ सांसों रो विश्वास किने,कद आती जाती रूक जावे।जीवन में झुकनो नही जाने, (पण जम रे आगे झुक जावे।२)☀️☀️☀️☀️☀️एक कदम तो उठ गयो,दूजो कूंन जाने उठ पावेलो। क्यांरो गर्व…

इन तन ने मीठा माल खुवाया, तूं निशदीन पाल्या पोस्या है।एक पेट री ऋण बुझावन खातिर( कितना रो मन रोस्या है।२)☀️☀️☀️लेकिन गटका खाएडा ने, एकदीन भटका आवे है। क्यांरों गर्व…

ओ चार दिनारो चाननीयों, सुन फेर अंधेरी रातां है।थारी सारी टपरी चुवे है,(जाने सावन री बरसातां है।२)☀️☀️☀️☀️☀️☀️☀️☀️थोड़ो जिनेरे खातिर क्यूं तूं, भारी पाप कमावे है। क्यांरो गर्व…..

जो बीत गई सो बात गई,आ पाछली खेती करले तूं।मुनिरूप कहे सद्गुण मोत्यांस्यु,(खाली झोली भरले तूं।२)☀️☀️☀️☀️☀️जो जागे है सो पावे है, सौवे सो पछतावे है। क्यांरो गर्व….

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