उठ जाग मुसाफिर भोर भई,अब रैन कहां जो सोवत है।२।
जो सोवत है, सो खोवत है। जो जागत है सो पावत है।उठ जाग मुसाफिर भोर भई,अब रैन कहां जो सोवत है।
उठ नींद से अखियां खोल जरा, और अपने प्रभु का ध्यान लगा।☀️☀️☀️☀️☀️☀️☀️ यह प्रीत करण की रीत नहीं, प्रभु जागत है तू सोवत है।उठ जाग मुसाफिर भोर भई,अब रैन कहां जो सोवत है।
जो कल करना सो आज करले। जो आज करना सो अब करले।☀️☀️☀️☀️☀️☀️ जब चिड़िया ने चूग खेत लिया। फिर पछताए क्या होवत है।उठ जाग मुसाफिर भोर भई,अब रैन कहां जो सोवत है।
नादान भुगत करनी अपनी, ए पापी पाप में चैन कहां। जब पाप की गठरी शीश धरी, अव शीश पकड़ क्यों रोवत है।उठ जाग मुसाफिर भोर भई,अब रैन कहां जो सोवत है।