जग जाड़ो चढ़गयो श्याम, भरवादे प्रेम रजाई।
सतसंग की खोल बनाई, श्याम नामकी करी छपाई। पल्ला पल्ला ओम नाम, और बीच में कृष्ण कन्हाई।जग जाड़ो चढ़गयो श्याम, भरवादे प्रेम रजाई।
चित चेतनकी रूई गिराई, मोक्ष की मगजी लगाई। सत्य की सुई,प्रेमका धागा,गहरी करी तगाई।जग जाड़ो चढ़गयो श्याम, भरवादे प्रेम रजाई।
भरम निडे नहीं आवे, शरम सारी मिट जावे। पापकर्म मिट जावे श्याम,ऐसी हो गरमाई।जग जाड़ो चढ़गयो श्याम, भरवादे प्रेम रजाई।
गर्मी गई बरसा आई, सर्दिने सब चाल चुकाई।सारों कुनबो ढकदे श्याम,इतनी तूं कर लंबाई।जग जाड़ो चढ़गयो श्याम, भरवादे प्रेम रजाई।