तर्ज, चुप चुप खड़े हो
श्याम जी को नाम एक, उड़न विमान है। स्वर्ग में ले जावे इसकी, इतनी उड़ान है।
जिसने भी नाम लिया, स्वर्ग पद पाया है। जन्म मरण के फेर में, फिर नहीं आया है।🌹🌹🌹 जल्दी भेजो जल्दी भेजो, चलने की तान है।स्वर्ग में ले जावे इसकी, इतनी उड़ान है।
देर करें बेर करें, फिर पछतावेगा।खाट का सिरा से दे दे, सिर टकरावेगा ।🌹🌹🌹🌹भूल मत प्राणी थारी, भूलबा की बान है।स्वर्ग में ले जावे इसकी, इतनी उड़ान है।
बैठ बैठ लोग यामें, चले गए स्वर्ग में। कई लोग रह गए, आपस की तर्क में।🌹🌹🌹🌹🌹 जिंदगी दिन चार जैसे, दूध का उफान है।स्वर्ग में ले जावे इसकी, इतनी उड़ान है।