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निर्गुण भजन nirgun Bhajan

Nirgun bhajan,manush tan anmol re, मानुष तन अनमोल रे,मिट्टी में ना रोल रे

मानुष तन अनमोल रे,मिट्टी में ना रोल रे

मानुष तन अनमोल रे,मिट्टी में ना रोल रे।🌹 अभी तो मिला है,फिर ना मिलेगा, कभी नहीं, कभी नहीं, कभी नहीं रे।

तूं सत्संग में जाया कर। गीत प्रभु का गायाकर। सांझ सवेरे बैठ के बंदे, हरि का ध्यान लगाया कर।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 नहीं लगता कुछ मोल रे।मानुष तन अनमोल रे,मिट्टी में ना रोल रे।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹अभी तो मिला है,फिर ना मिलेगा, कभी नहीं, कभी नहीं, कभी नहीं रे।

तुम बुलबुला है पानी का, मत कर मान जिंदगानी का। नेक कमाई कर ले भाई, पता नहीं जिंदगानी का।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 मीठा सबसे बोल रे।मानुष तन अनमोल रे,मिट्टी में ना रोल रे।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹अभी तो मिला है,फिर ना मिलेगा, कभी नहीं, कभी नहीं, कभी नहीं रे।

मतलब का संसार है, नहीं उसका ऐतबार है। संभल संभल कर कदम रखो, फूल नहीं अंगार है।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 मन की आंखें खोल रे।मानुष तन अनमोल रे,मिट्टी में ना रोल रे।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹अभी तो मिला है,फिर ना मिलेगा, कभी नहीं, कभी नहीं, कभी नहीं रे।

श्री सतगुरु सिरमौर, ज्ञान का भंडार है। जो कोई इनके शरण में आवे, करते बेड़ा पार है। सत्संग है अनमोल रे।मानुष तन अनमोल रे,मिट्टी में ना रोल रे।अभी तो मिला है,फिर ना मिलेगा, कभी नहीं, कभी नहीं, कभी नहीं रे।

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