मेरा लाख टके का झुनझना, खाटू ते ल्याई मोल, झना झन बाजे झुनझना।
Tag: bhai kyo na khatu aaya
कई दिनां सूं डिकता या,फागुन की रुत आई जी।
जहां बिराजे शीश का दानी,मेरा लखदातार।चलो रे खाटू के दरबार।
सँवारे की महफ़िल लगे खाटू में,
ग्यारस पे खाटू में आकर तो देखो,
भगत कित पड़ के सो गया रे,
भाई क्यों ना खाटू आया।।