पड़या क्यों खटिया में। ओ भोले इंसान की जिंदगी दो दिन की।
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सँवारे की महफ़िल लगे खाटू में,
ग्यारस पे खाटू में आकर तो देखो,
इठलाती हुई बलखाती हुई,चली पनियां भरण शिव नार रे
पड़या क्यों खटिया में। ओ भोले इंसान की जिंदगी दो दिन की।
सँवारे की महफ़िल लगे खाटू में,
ग्यारस पे खाटू में आकर तो देखो,
इठलाती हुई बलखाती हुई,चली पनियां भरण शिव नार रे