मैया की लाल चुनरी कैसे बनी।
Tag: Aagre ko ghaghro me layi
जगदंबे अरज मेरी सुन लीजिए
आओ स्वागत करें अंबे मां का,अंबे डोली चढ़ी आ रही है
आई द्वार मां कर दो पार मां,मेरी नैया पड़ी है मझधार मां
ओढ़ी ओढ़ी मेरी मैया ने,लाल चुनरी।
लाल चुनरी मां लहराके, पीला शेर मां सजाके,आजा होके पवन वाली चाल
शेरोंवाली के बिछुवे सुनार घड़दे,जाके पहनाऊं मैया के पैरों में।
रिमझिम रिमझिम पड़े फुहार,नभ से बरसे अमृत धार
नरम नरम लायी घाल, गरम कान्हा माखन रोट
हरी नाम नहीं तो जीना क्या।
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