तर्ज,रामा रामा रटते रटते बीती है उमरिया
श्यामा श्यामा रटते रटते, बीती रे उमरिया। तेरे दर्श की बावरी मीरा, फिरती डगर डगरिया।
खानपान सब वैभव छोड़ा, मोहन तेरी याद में। बन गई तेरे नाम की जोगन,ले एकतारा हाथमें। श्याम नाम की सारे जग में, फैलाई लहरिया।तेरे दर्श की बावरी मीरा, फिरती डगर डगरिया।
ऐसी प्रेम दीवानी मीरा, लोक लाज सब भूल गई। राणा की सारी चालाकी,एक एक कर बिखर गई ।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹जो कछु पाया प्रभु को सौंपा, ले लिन्हीं खबरिया।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹तेरे दर्श की बावरी मीरा, फिरती डगर डगरिया।
सब कुछ अर्पण करके मानव, श्याम शरण में आ जाए। सुख दुःख उसके जितने भी हैं, परमेश्वर के हो जाए।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 फिर भी अपना मैं ना छूटे, कैसी है भंवरिया।तेरे दर्श की बावरी मीरा, फिरती डगर डगरिया।
सबसे सीधा सरल तरीका, मीरा ने सीखलाया है। जग की माया मैं भटका मन, कुछ भी समझ नहीं आया है।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 भक्त तिहारी शरण में बैठा, दर्शन दो सांवरिया।तेरे दर्श की बावरी मीरा, फिरती डगर डगरिया।