ऐसी करी गुरुदेव दया,
मेरा मोह का बन्धन तोड़ दिया।।
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हा रे सतगुरु आवोला,
अमृत रा प्याला कद भर पावोला,
आप बिना मेरों कौन धणी है,
वेगा पधारों म्हारा सतगुरु,
सुन सुन रे सतगुरु री बातां,जनम सफल होय जासी रे।
मेरो अवगुण भरयो शरीर,गुरुजी कईयां तारोगा।
म्हारा किशन कन्हैया, मधुवन में चालो सावन आ गयो
सागर से भी गहरा बंदे गुरुदेव का प्यार है
गुरु मात पिता गुरु बंधु सखातेरे चरणों में, स्वामी मेरा कोटि प्रणाम।
हे मात पिता गुरुवर मेरे, चरणों में शीश नवाता हूं।
गुरुदेव दया करके मुझको अपना लेना।
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