मेरे अंग अंग राधा मेरे संग संग राधा।मैंने रटना लगाई रे,राधा तोहरे नाम की।
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बाल समय रवि भक्ष लियो, तब तिनहुं लोक भयो अंधियारो
श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मन मुकुर सुधार
तनधन बाबो सेठ,म्हारी नाराणि सेठानी है।
आयो फागण मेलो, बाबो मारे हेलो।
प्यारो सज्यो है सिंगार की दादी होले होले मुल्के