घनश्याम तेरी बंसी,
पागल कर जाती है,
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सांवली सुरतिया है,
मुख पे उजाला।।
सिर पे मोर मुकुट है साजे,
और घुंघराले बाल,
एकली ने घेरी वन में आज,
श्याम तने कैसी ठानी रे।।
श्री गोवर्धन वासी सांवरे लाल
हार कर दर पे जो आता है
खुल गए भाग हमारे,गुरुदेव पधारे
छोड़ कर संसार जब तू जाएगा
माँ कौशल्या तुझको पुकारे,चले आओ अब राम हमारे
तुलसा मगन भई राम गुण गाए के।
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