तर्ज : झूठ बोले कौआ काटे
श्याम-हवेली में मेरे बाबा,
लीले चढ़कर के अइयो,
तेरा इतना लाड़ लडाऐंगे,
तुम देखते रहइयो ।।
तेरे केसर तिलक लगाएँगे,
चाँदी का छत्र चढ़ाएँगे
चुन-चुन कर कलियाँ बागों से,
सुन्दर गजरा बनवाएँगे
पहन कसूमल बागा बाबा,
खिल-खिल करके हँसियों।
श्याम-हवेली में मेरे बाबा,
लीले चढ़कर के अइयो,
तेरा इतना लाड़ लडाऐंगे,
तुम देखते रहइयो ।।
तेरा छप्पन भोग बनाएँगे,
सब भगतों को बुलवाएँगे,
मेवों से थाली भरी हुई,
और नागर पान मँगाएँगे,
हुकुम हमारे लायक हो तो,
हम बच्चों से कहियो।
श्याम-हवेली में मेरे बाबा,
लीले चढ़कर के अइयो,
तेरा इतना लाड़ लडाऐंगे,
तुम देखते रहइयो ।।
तुझे मीठे भजन सुनायँगे,
नैणों से नैण मिलाएँगे,
खुद नाचेंगे हम साँवरिया,
और साथ में तुझे नचाएँगे,
मस्ती का रंग कभी ना उतरे,
हमें उस रंग में रंगियो।
श्याम-हवेली में मेरे बाबा,
लीले चढ़कर के अइयो,
तेरा इतना लाड़ लडाऐंगे,
तुम देखते रहइयो ।।
अगर भूल कोई हो जाए तो,
नहीं दिल से उसे लगाना है,सब भक्तों की विनती है
साँवरिया तुझको आना है,
‘सँजू’ की इतनी सी अरजी,
हमें छोड़ के ना जाइयो।
श्याम-हवेली में मेरे बाबा,
लीले चढ़कर के अइयो,
तेरा इतना लाड़ लडाऐंगे,
तुम देखते रहइयो ।।