यमुना किनारे मेरा गाँव, साँवरे आ जाना।
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अपनो गांव रखो नंदरानी, हम कहीं और बसेंगी जाय।
छोटा सा कन्हैया देखो यशोदा घर में डोले रे
हुवा जनम अष्टमी रात,हां रात,छठी आज मनाएं कान्हा की।
मैया री सोनी लागे री वृषभान जी री छोरी।
राधा मोरी बंसी कहां खो गई,कोई ना बताए और शाम हो गई।
नंद भवन में उड़ रही धूल,धूल मोहे प्यारी लगे।