फूलों में सज रहे हैं, श्री वृन्दावन बिहारी।
और संग में सज रही है वृषभानु की दुलारी॥
टेडा सा मुकुट सर पर, रखा है किस अदासे।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
करुना बरस रही है, करुना भरी निगाह से।
बिन मोल बिक गयी हूँ, जब से छबि निहारी॥फूलों में सज रहे हैं, श्री वृन्दावन बिहारी।
बहिया गले में डाले, जब दोनों मुस्कुराते।
सब को ही प्यारे लगते, सब के ही मन को भाते।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
इन दोनों पे मैं सदके, इन दोनों पे मैं वारी॥फूलों में सज रहे हैं, श्री वृन्दावन बिहारी।
श्रृंगार तेरा प्यारे, शोभा कहूँ क्या उसकी।
इत पे गुलाबी पटका, उत पे गुलाबी साडी॥फूलों में सज रहे हैं, श्री वृन्दावन बिहारी।
नीलम से सोहे मोहन, स्वर्णिम सी सोहे राधा।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
इत नन्द का है छोरा, उत भानु की दुलारी॥फूलों में सज रहे हैं, श्री वृन्दावन बिहारी।
चुन चुन के कालिया जिसने बंगला तेरा बनाया।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
दिव्य आभूषणों से जिसने तुझे सजाया।हो गया वो मालामाल,किरपा है उसपे भारी।फूलों में सज रहे हैं, श्री वृन्दावन बिहारी।