ना झटको शीश से गंगा हमारी गौरा भीग जाएगी
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शंकर जी है भोले भाले, जटा के बाल काले,गले में नाग डाले है।
बहु भोजन ना करूं मैं आज, आज मेरे ग्यारस है।
मिलन कैसे होय की पांचों खिड़की बंद पड़ी।
एकादशी सब व्रतों में बड़ी है
मझदार फसी नैया, बड़ी दूर किनारा है
बड़ी दूर किनारा है,कश्ती भी पुरानी है।
तेरा किसने किया श्रृंगार सांवरे ॥
दूर नगरी बड़ी दूर नगरी
बड़ी देर भई नंदलाला, तेरी राह तके बृजबाला।
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