ग्यारस माता से मिलन कैसे होय की पांचों खिड़की बंद पड़ी।
पहली खिड़की खोलकर देखूं, कूड़ा-कचरा होय।
मुझमें इतनी अकल नहीं आई कि झाड़ू-बुहारा करती चलूं। 🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺ग्यारस माता से,मिलन कैसे होय की पांचों खिड़की बंद पड़ी।
दूजी खिड़की खोलकर देखूं, गंगा-जमुना बहे।
मुझमें इतनी अकल नहीं आई कि स्नान करके चलूं।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺 ग्यारस माता से,मिलन कैसे होय की पांचों खिड़की बंद पड़ी।
तीजी खिड़की खोलकर देखूं, घोर अंधेरा होय।
मुझमें इतनी अकल नहीं आई कि दीया तो लगाती चलूं।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺 ग्यारस माता से,मिलन कैसे होय की पांचों खिड़की बंद पड़ी।
चौथी खिड़की खोलकर देखूं, तुलसी क्यारा होय।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
मुझमें इतनी अकल नहीं आई कि जल तो चढ़ाती चलूं। 🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺ग्यारस माता से,मिलन कैसे होय की पांचों खिड़की बंद पड़ी।
पांचवीं खिड़की खोलकर देखूं, सामू मंदिर होय।
मुझमें इतनी अकल नहीं आई कि पूजा-पाठ करती चलूं।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺 ग्यारस माता से,मिलन कैसे होय की पांचों खिड़की बंद पड़ी।