हारे मीठा बोलोनी,ओशी उम्र में थोड़ो जीवनो रे,
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बजरंगी तुझे मनाऊ सिंदूर लगा लगा के।
आया है कार्तिक मास दीप तुलसा में जलाऊंगी।
सर्वसुखदायिनी मैया वरदायिनी,
हे माँ नारायणी तू ही जग तारणी,
मैया ओढ़ चुनरिया लाल हमारे घर आ जाना।
खोलो हृदय के ताले माँ लक्ष्मी मेरा भाग लिख दो।
अबकी मोहन जल्दी आओ प्रेम की एकादशी।
करके सोलह श्रृंगार, के भोला बन गये नर से नार
बड़ी दूर से चलकर आया हूं,
मेरे बाबा तेरे दर्शन के लिए,
भगवती सामने खुद खड़ी,नाम जपलो घड़ी दो घड़ी
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