खाटू के बाबा श्याम जी,मेरी रखोगे लाज
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खाटू की बारस हमें,आज तक याद है,
अभी तक मुंह में,दाल चूरमें का स्वाद है।।
ना पैसा लगता है, ना खर्चा लगता है, जय श्री श्याम बोलिए, बड़ा अच्छा लगता है
श्याम माखन चुराते चुराते, अब तो दिल भी चुराने लगें हैं।
श्याम तेरे हाथों में हमारी डोर है,
जाटनी खाटू न चाली।जाटनी खाटू न चाली।