तुम सजधज कर के बैठे गजानन,भक्तों की नजर ना लगे
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चौदस के दिन इन आंखों से, उड़ गई निंदिया रानी।
तनधन बाबो सेठ,म्हारी नाराणि सेठानी है।
तनधन की पटरानी भजो रे मन नाराणी
आए सजधज के बाराती हैं
तुम सजधज कर के बैठे गजानन,भक्तों की नजर ना लगे
चौदस के दिन इन आंखों से, उड़ गई निंदिया रानी।
तनधन बाबो सेठ,म्हारी नाराणि सेठानी है।
तनधन की पटरानी भजो रे मन नाराणी
आए सजधज के बाराती हैं