तर्ज, माईन माइन
चौदस के दिन इन आंखों से, उड़ गई निंदिया रानी। 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹मावस के दिन सुबह सुबह मेरी,आंख से टपका पानी।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹मैया तेरी याद आ गई।मैया तेरी याद आ गई।
झुंझनू माही डटकर बैठी,कलियुग की दातारी।इन आंखों के आगे घूमे,मैया छबि तुम्हारी।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹तेरी याद में झुंझनू वाली,सारी रात ना सोई।कैसे आऊं पास तुम्हारे, फूट फूट कर रोई।मैया तेरी याद आ गई।मैया तेरी याद आ गई।
मंदिर में दो भजन सुनाना,तेरे दर्शन करना।तेरे गांव के भक्तों के संग,कई दिनों तक रहना।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹चाहे जितनी कोशिश कर ले,तुमको भुला ना पाऊं।सारे दुखड़े सह ना पाऊं।🌹🌹मैया तेरी याद आ गई।मैया तेरी याद आ गई।
अब तो दिल में आश यही है,हो दीदार तुम्हारा।सपना पूरा हो जाए बस,ये अरमान हमारा।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹जितनी जल्दी होवे मैया,झुंझनू मुझे बुलाले।दर्शन देकर इस दुखिया को,अपने गले लगा ले।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹मैया तेरी याद आ गई।मैया तेरी याद आ गई।
चौदस के दिन इन आंखों से, उड़ गई निंदिया रानी। 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹मावस के दिन सुबह सुबह मेरी,आंख से टपका पानी।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹मैया तेरी याद आ गई।मैया तेरी याद आ गई।