भरोसे थारे चाले ओ
सतगुरु मारी नाव,
Tag: Aachi payi o gurusa mhane gyan gutki
आज गुरु आविया रे,
मारा हिवड़ा में उठी रे हिलोर।।
मन चल रे गुरु के धाम हरी हरी गायेगे
बाटन आली मने भी दिए,के लैरी से थाली में।
गुरु सा म्हाने ज्ञान बतायो रे, जग झूठ लखायो रै
सतगुरु ने आन जगाई है सखि,भरम भूल में सौवे थी।
आछी पाई ओ गुरूसा,
म्हाने ज्ञान गुटकी,
मेरो अवगुण भरयो शरीर,गुरुजी कईयां तारोगा।
मुझे मिल गई गुरु कृपा, दुनियां क्या जाने।
सागर से भी गहरा बंदे गुरुदेव का प्यार है