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गुरु भजन लिरिक्स guru bhajan lyrics

Satguru ne aan jagayi he sakhi bharam bhul me sowe thi,सतगुरु ने आन जगाई है सखि,भरम भूल में सौवे थी,guru bhajan

सतगुरु ने आन जगाई है सखि,भरम भूल में सौवे थी।

सतगुरु ने आन जगाई है सखि,भरम भूल में सौवे थी।

मेरी सूरत शब्द का मेल करया। किसा योग भोग का खेल करया।में तो संत मार्ग में ल्यायी ये सखी,भरम भूल में सौवे थी।

सतगुरु ने आन जगाई है सखि,भरम भूल में सौवे थी।

मन मथुरा मेरी काया काशी। घट में प्रकट हुए अविनाशी।में तिर्वेनी ने नहाई ये सखी, यूं बिरथा जिंदगी खोवे थी।

सतगुरु ने आन जगाई है सखि,भरम भूल में सौवे थी।

मारग मीन तीसरे तिल में। पहुंच गई अपनी मंजिल में।मिनट ना लगी ढाई ये सखी,में जिस वस्तु ने टोवे थी।

सतगुरु ने आन जगाई है सखि,भरम भूल में सौवे थी।

चंद्रभान गुरु के दर्शन। अनंत आत्मा हो गई परसन।मिले किरसन लाल दवाई हे सखी,इसके मारे रोव थी।

सतगुरु ने आन जगाई है सखि,भरम भूल में सौवे थी।

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