सुहागन हूं सुहागन को न कुछ चाहिए न कुछ चाहिए
Category: विविध भजन
हरी भक्तो ने रास रचाया, बूटी घोल घोल के।
राम बेचने आया मैं श्याम बेचने आया,दो रोटी की खातिर मैं भगवान बेचने आया, इस मिटटी से आश्मान में, तू इंसान बनाता है,पेट की खातिर मिटटी का, मानव भगवान बनाता है,🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺हनुमत दुर्गा शंकर काली, नाम बेचने आया,दो रोटी की खातिर मैं, भगवान बेचने आया, तुझे खरीदने ये मानव, मोल भाव भी करते हैं।कुछ पैसो की […]
जैसे बड़ पीपल की छाया, वैसे सास ससुर की माया
गुमान काहे करती गोरे बदन का। भजन क्यों ना करती राधारमण का।
बधाई हो बधाई मैं तो ढोलक चिमटा लाई
बेटे पांच हुवे,मैने श्री हरी के गुण गाए
तुम्हीं हो माता पिता तुम्ही हो,तुम्ही हो बंधु सखा तुम्हीं हो।
थे भूल्ज्यो सब कुछ मगर मां बाप ने मत भूल्ज्यो