कण कण सूं गूंजे, जय जय राजस्थान,
Category: विविध भजन
साई के दरबार में जा भाई, लम्बा खड़ा खजूर
जे तू राम नाम चित्त धरतो, जे तू कृष्ण नाम चित्त धरतो
जगत में कोई ना परमानेंट।
मुझे है काम ईश्वर से,
जगत रूठे तो रूठन दे।
तु करले भजन बुढ़ापे में।
तूने जो कमाया है कोई, दूसरा ही खाएगा,
चुगली करनी छोड़ री बुढ़िया करले भजन बुढ़ापे में।
तेरे गले को हार जंजीरों रे, सतगुरु सुलझावेगा
तने कियां समझाऊ रे मनवा तने कियाँ समझाऊ
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