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विविध भजन

Ram bechne aaya me shyam bechne aaya,राम बेचने आया मैं श्याम बेचने आया,

राम बेचने आया मैं श्याम बेचने आया,
दो रोटी की खातिर मैं  भगवान बेचने आया,


इस मिटटी से आश्मान में, तू इंसान बनाता है,
पेट की खातिर मिटटी का, मानव भगवान बनाता है,🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
हनुमत दुर्गा शंकर काली, नाम बेचने आया,
दो रोटी की खातिर मैं,  भगवान बेचने आया,

तुझे खरीदने ये मानव, मोल भाव भी करते हैं।
कुछ पैसो की खातिर ये तो, अपनी आहे भरते है,🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
कुछ न कीमत देदो मैं, जुबान बेचने आया,
दो रोटी की खातिर मैं,  भगवान बेचने आया।

मिटटी की मूरत को लगा, घर में करते पूजा तेरी,
तुझसे ही वो मन्नतें अपनी, भरते है झोली पूरी।
सौदागर हु सौदा करन, ईमान बेचने आया,
दो रोटी की खातिर मैं,  भगवान बेचने आया,

तू माफ़ करना मुझको भगवान, वेच रहा तेरे नाम को,🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
इंसानो की क्या है फितरत, देख रहा इंसान को,
इंसानो की क्या औकात, पहचान बेचने आया।
दो रोटी की खातिर मैं,  भगवान बेचने आया।

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