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विविध भजन

Padya kyo khatiya me o bhole insan ki jindagi do din ki,पड़या क्यों खटिया में। ओ भोले इंसान की जिंदगी दो दिन की,

पड़या क्यों खटिया में। ओ भोले इंसान की जिंदगी दो दिन की।

पड़या क्यों खटिया में। ओ भोले इंसान की जिंदगी दो दिन की। भजले ने भगवान,पड़या क्यों खटिया में।

रात के चौथे पहरे में, एक माया लूटती रहती है। सोता है सो खोता है, आयु भी घटती रहती है। दिन रात बरसती रहती है, तुम होजा नू धनवान।पड़या क्यों खटिया में।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺ओ भोले इंसान की जिंदगी दो दिन की। भजले ने भगवान,पड़या क्यों खटिया में।

ब्रह्म मुहूर्त में उठ सवेरे राम मिलन की बेला है। आगे का धन इकट्ठा कर ले, दो दिन दर्शन मेला है।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺 जाता जीव अकेला है, तेरी मंजिल हो आसान।पड़या क्यों खटिया में।ओ भोले इंसान की जिंदगी दो दिन की। भजले ने भगवान,पड़या क्यों खटिया में।

दुनियां में रहकर लगा समाधि, मालिक से मन जोड़ लिए। जीव अलग कर ले काया से, भरम का भंडाफोड़ लीये।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺थोथे बहुत पिछोड़ लिए, अब खुद को ले पहचान। पड़या क्यों खटिया में।ओ भोले इंसान की जिंदगी दो दिन की। भजले ने भगवान,पड़या क्यों खटिया में।

अमृत सा अंदर बरसेगा,फूल प्रेम के खिल जागें। काम क्रोध मद लोभ मोह सब, ज्ञान अग्नि में जल जागें।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺अरे मुरख तने मिल जागें, सतगुरु चंद्रभान। पड़या क्यों खटिया में।ओ भोले इंसान की जिंदगी दो दिन की। भजले ने भगवान,पड़या क्यों खटिया में।

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