आज तो बधाई बाजे, मां के भवन में।
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मेरे राम वन वन भटक रहे,मेरी सिया गई तो कहां गई।
शेर पे सवार होके आजा शेरा वालिये
कब आओगी मां शेरों वाली,कब आओगी पहांडां वाली
माँ शेर पे चढ़ के आई जयकारा गूँजे गली गली
दशरथ के राजकुमार,
वन में फिरते मारे मारे,
म्हारा हरिया वन रा सुवटीया,तने राम मिले तो कहीजे रे।