घड़ी घड़ी पल पल, बीते रे उमरिया
Category: निर्गुण भजन nirgun Bhajan
पिंजरे के पंछी रे,तेरा दर्द ना जाने कोय।
जगत में कोई ना परमानेंट
मने ईबके तो बचाले मेरी माय बताउडो आयो लेवण ने
मेरे माटी के मटके तूं राम राम बोल।
बंगला अजब बना महाराज, जा में नारायण बोले
क्या ले के आया वंदे क्या ले के जाएगा
भाई रे मत दिज्यों मावड़ली ने दोष कर्मा री रेखा न्यारी न्यारी रे
है लकड़ी तूं बन लकड़ी, अब देख तमाशा लकड़ी का
भला किसीका कर ना सको तो,बुरा किसीका मत करना।
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